Sunday, 10 May 2020

मदर्स डे स्पेशल

माँ का नाम ही आशा और  चिंता हैं!
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आज सुबह में ही एक मित्र का सलाह आया।
आप भी " मातृ दिवस" पर कुछ लिखिये!"
मैंने उनकी बात एकाएक मना करना उचित नहीं समझा।

लिखने के लिए कलम उठाया ही था कि
" कलम रुक गई।"
 फिर दुबारा कोशिश किया,, 
 कि लिख लूँ लेकिन जितना भी लिख पाया वह ये हैं।

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आज मैं जो कुछ भी लिखने जा रहा हूँ, इसकी देन माँ हैं। अगर मैंने दुनिया में अब तक जो कुछ भी देखा  उसका सौभाग्य भी माँ हैं।

" माँ भले मेरी हो, आपकी हो या किसी की भी हो,, अलग नहीं होती ममता से,मोह से और नेह-छोह से।"

खुद सोती नहीं रातभर, जब तल्ख सुला लेती,
तनिक अलसाती नहीं गीले बिछौने को देखकर, 
ठिठुरती ठंड हो या हो चिलचिलाती धूप,
करती नहीं रात और दिन का परवाह, 

खुद भूखी सो जाती अलसाई,
 रहती नहीं मुझे बिन खिलाई,
 
अरे, माँ तो बस माँ हैं,
हैं नहीं कोई इसकी तुरपाई।

बेच देती हैं तन के जेवर हमारे सपनों को बुनने में,
 झगड़ पड़ती हैं घर में सबसे हमारी कमियाँ ढकने में, 

अरे!, बैंक के खाते भी दीमक खा जाते हैं,एक उम्मीद में।

अर्पण कर देती हैं अपना तन,मन,धन सब कुछ,
बस एक उम्मीद में,! बेटा हमारा बड़ा नाम करेगा।

जीवन के सफर में हर कोई सफल तो होता  नहीं,
होते असफल बेटे के लिए रोती,
वह माँ हैं, 
माँ तो बस माँ हैं!

यक़ीनन,,,!
 माँ का नाम ही आशा और  चिंता हैं।

सुजीत पाण्डेय छोटू
       बक्सर

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