Saturday 14 April 2018

सतुआ न ।🍒🍎

अभी स्कूल की छुट्टी भी नहीं हुई थी। एक घंटी बाकी था तब तक सोनुआ आकर बोला।

आज सतुआनी ह, ई साल ख़ालिये जाई का ।

हम क्लास में दूसरे बेंच पर बैठे हुए ही तिरछी आँखों से पीछे देख रहे थे। पीछे चल रही साज़िश किसी के नव कपोल आम तोड़ने की थी। वैसे शुरू से ही चोरी में कम लेकिन चोरी में तोड़े गए सामान को बटोरने में माहिर आदमी समझता था।

....अंसारी सर बोल पड़े...
   सुजीत कुमार पाण्डेय"

** पुनर्जागरण किसे कहते हैं?
मेरी तंद्रा खुली, फटाफट खड़ा हुआ। इतने देर में दूसरा सवाल जहाँ तक पूछते , बोल दिए

बेंच के ऊपर खड़ा अपनी शक्ल दिखाओ।
लजाते शर्माते हुए खड़ा हुआ और तब तक क्लास में ठहाके शिकार हुआ ।

क्या तुम क्लास में हो ?

Tuesday 10 April 2018

"कुछ यादगार लम्हें......की!!!

""कुछ यादगार लम्हें .........की!!!!""

मुझे अच्छी तरह से याद हैं!!..
जब मैं पहली बार तुमसे मिला था! वो दिन बजट-सत्र का आखिरी दिन था और मैं पहली बार दिल्ली की जमीं पर कदम रखा था।

ना दिल में चैन था और ना मन को सुकून! हर वक़्त याद कर कर के मन विचलित और रूह परेशान था।

भला याद करूँ भी क्यों नहीं?!!..
तुम मेरे रूह में इस कदर समा गई थी, हमबिस्तर बन के। तुम्हारी जरा सी भी आहत मुझे बेचैन कर देती थी और मैं खोजने लगता था विकल होके, और तुम कही छुप जाती थी और हाँ...!!
मिलती कहाँ थी, आसानी से ....

असल में तुम्हारा और मेरा खून का रिश्ता जो ठहरा।

तुम्हारे छोटे छोटे दाँतो की काटी हुई चुभन का तो मैं मुरीद हो गया था !!, जहाँ भी काटती,,,, वहाँ का दाग भी कितना भयानक होता और ऐसे दाग को लोगों से छुपाना पड़ता वरना मेरी खिल्ली उड़ जाती।

पता हैं एक बार घर जो गया था। तुम्हारे शातिर बदमाशी को देखकर घर वाले भी हैरान थे। लाल-लाल के चकते जो इतने खतरनाक दिख रहे थे। जो जख्म हरे थे वे दवा लगाने के बाद भी जल्दी से ठीक नहीं हुए।

ख़ैर अभी कुछ चैन हैं जबसे चारपाई बदली हुई हैं।

#""खटमल की याद में""#

Monday 9 April 2018

!! रूह संवाद!!

कहते हैं!!"
वक़्त गतिमान हैं।
यह अटल और शाश्वत हैं।
बदलता वक़्त घावों को तो भर सकता हैं पर,
उनका क्या जो जलते हैं बिन बाती के ज़रा-जरा-सा।

उमड़ पड़ते हैं ख्वाबों तले
मचल उठते हैं उन लहरों-सा
जो एक मिलन की आस में
उछल पड़ती हैं उन आसमाँ की ओर....
पर होता नहीं नसीब। फिर क्यों?

निकल पड़ते हैं अश्क़,
तोड़ सारे बाँधो का किनारा,
उम्मीद ही न बनता हैं सहारा,
क्या यही होने का अहसास हैं,

झुठलाती हैं वो कहकर...

"नहीं तो !!"

शायद ये गलतफहमी हैं तुम्हारी।

हाँ!! , मैं भी ठहरा एक जिद्दी,
न रुकने वाला,न थकने वाला,
वक़्त जख्मों को भर सकता हैं
पर ज़रूरी नहीं हर मर्ज की दवा ही हो।

कुछ मर्ज की दवा खुद खुदा बनाता।

"बोला:- .....
सुनो!!

दावाग्नि में जले उपवन में पत्ते पल्लवित हो सकते हैं पर
मुखाग्नि के स्वर से कभी अनुराग पैदा नहीं हो सकता।

Friday 6 April 2018

क्रिप्टो-करेंसी क्या हैं?

क्रिप्टो करेंसी एक आभासी मुद्रा हैं जिसे ऑनलाइन मुद्रा भी कहते हैं। जिस तरह से रुपये-पैसों को रखने के लिए हम जेब (पर्स) का इस्तेमाल करते हैं, ठीक इसी प्रकार से क्रिप्टो करेंसी रखने के लिए डिजिटल जेब की जरूरत पड़ती हैं।

प्राचीन समय में लोग मुद्राओं से अनजान थे। वे अपना काम वस्तु विनिमय प्रणाली के माध्यम से चलाते थे। इसका मतलब किसी जरूरत वाली वस्तु के बदले में किसी दूसरी वस्तु बदले में देनी पड़ती थी ।

विनिमय के तौर तरीकों में बदलाव हुआ। कालान्तर में  अलग-अलग राजवंशों ने अलग-अलग अपनी मुद्राएं जारी की। किसी ने सोने के सिक्के चलाये तो वही दूसरे किसी ने चांदी, फिर ताँबा आदि का.....

क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 21 सदी मानी जाती हैं। क्रिप्टोकरेन्सी में बिटकॉइन को अर्थव्यवस्था का बादशाह माना जाता हैं। इसका आविष्कार 03 जनवरी 2009 में सतोषी नाकामोतो ने किया था जो अब तक अज्ञात हैं। इस व्यक्ति की पहचान अब तक नहीं हो पाई हैं । बिटकॉइन बनाने का असली मतलब था डिजिटल मुद्रा को बिना किसी तीसरे माध्यम के यानी बिना बैंक गए ही एक-दूसरे में पैसे का विनिमय हो सके ।

आज से ठीक पांच साल पहले
1 बिटकॉइन = 5 रुपये था जबकि अभी
1 बिटकॉइन= 50 हजार से भी ऊपर हैं।
( आंकड़े घटते-बढ़ते रहते हैं)

क्रिप्टोकरेंसी के दो प्रकार हैं।

1) फिएट क्रिप्टो
2) नॉन-फिएट क्रिप्टो

फिएट क्रिप्टो वैसी करेंसी हैं जिसे स्थानीय सरकार ( जैसे की भारत में भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा मान्यता दी जाती हैं) द्वारा वैध करार दी जाती हैं।

नॉन-फिएट क्रिप्टो करेंसी निजी करेंसी होती हैं। इसमें किसी सरकार हस्तक्षेप नहीं होता और अलग-अलग देशों में कही इसकी मान्यता मिलती हैं तो कही नहीं भी।

कुछ लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसियाँ हैं।
बिटकॉइन, एंथ्राल, रिप्पल आदि ।

क्रिप्टोकरेन्सी के फ़ायदे:-

1) यह उच्चतम सुरक्षा मानक  हैं और यह आपकी जानकारी को गुप्त रखता हैं।
2) इससे लेन देन में किसी तरह की फ्राडगिरी  नहीं होती।
3) लेन देन के लिए किसी बैंक या कोई और माध्यम नहीं बनता।
4) इसकी फीस काफी कम होती हैं।
5) इसका खाता घर बैठे खुल जाता हैं। कोई भागदौड़ या ज्यादा दस्तावेज की जरूरत नहीं होती ।

साभार:- इंटरनेट महोदय!!