अभी स्कूल की छुट्टी भी नहीं हुई थी। एक घंटी बाकी था तब तक सोनुआ आकर बोला।
आज सतुआनी ह, ई साल ख़ालिये जाई का ।
हम क्लास में दूसरे बेंच पर बैठे हुए ही तिरछी आँखों से पीछे देख रहे थे। पीछे चल रही साज़िश किसी के नव कपोल आम तोड़ने की थी। वैसे शुरू से ही चोरी में कम लेकिन चोरी में तोड़े गए सामान को बटोरने में माहिर आदमी समझता था।
....अंसारी सर बोल पड़े...
सुजीत कुमार पाण्डेय"
** पुनर्जागरण किसे कहते हैं?
मेरी तंद्रा खुली, फटाफट खड़ा हुआ। इतने देर में दूसरा सवाल जहाँ तक पूछते , बोल दिए
बेंच के ऊपर खड़ा अपनी शक्ल दिखाओ।
लजाते शर्माते हुए खड़ा हुआ और तब तक क्लास में ठहाके शिकार हुआ ।
क्या तुम क्लास में हो ?
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