Sunday 30 June 2019

पत्र

सेवा में,
    माननीय प्रधानमंत्री जी
    भारत सरकार
      

द्वारा:- उचित माध्यम

विषय:- गोप भरौली, सिमरी जिला- बक्सर ( बिहार) में सड़क निर्माण के संबंध में.

श्रीमान,
         विषय अंतर्गत निवेदन है, कि आजादी के सत्तर वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी ग्राम गोप भरौली ब्लॉक सिमरी जिला बक्सर (बिहार) के हम लोग एक दो फिट की पगडंडियों पर चलने को विवश हैं । और मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं।

आदरणीय बरसात के दिनों में जहाँ हमें किसी रोगी या प्रसव पीड़िता को डेढ़ किलोमीटर दूर खाट पर कीचड़ में लथपथ होकर अस्पताल ले जाना पड़ता हैं ।  तो वही बच्चों का स्कूल जाना पूरे बरसात भर ठप हो जाता हैं। गांव में कोई भी चार या तीन पहिया वाहन गर्मियों के अलावा (तब खेत खाली होते है ) अन्य ऋतुओं में नही आ पाता है ।

जिला प्रशासन के पास कई बार पत्राचार करने के बाद भी हमारी समस्या का दस्तावेज लंबित पड़ा हुआ हैं और किसी की कोई सुध नहीं हैं।

लोक शिक़ायत में आवेदन देने के बाद भू-अर्जन विभाग द्वारा कोई ठोस कारवाही नहीं की जा रही हैं, ताकि हमारी समस्या का हल निकले।

श्रीमान जी, अवगत कराना चाहूँगा की हमारे गाँव को मुख्य सड़क (आशा पड़री- सिमरी) से जोड़ने के लिए दो तरफ़ से रोड के लिए भू स्वामियों की सहमत थी लेकिन किसी एक तरफ से भी नहीं बन रहा हैं।

महोदय से सादर विनती हैं कि हमारी साढ़े ग्यारह सौ लोगों की पीड़ा को ध्यान में रखते हुए मात्र डेढ़ किमी के संपर्क मार्ग हेतु संबंधित अधिकारियों को अग्रिम कार्यवाही हेतु आदेश दिया जाय, इसके लिए समस्त ग्रामीण जनता आभारी रहेगी..

प्रार्थी

समस्त ग्रामीण
गोप भरौली,
ब्लॉक सिमरी  जिला:- बक्सर ( बिहार)

Tuesday 18 June 2019

मुजफ्फरपुर

क के माँग हर जगह उठावे वाला बिहार में तवाँ जाला,
हरदम चिचियात रहे गरीबन खातिर, ऊहो मुँह लुकवा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

देस-बिदेस में बसल बाड़ें बड़हन नेता, अभिनेता आ पत्रकार
बाकी अब त राजनीति करे में लोग अझुरा जाला।
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

लाश जतने छोट आवे, तन-मन के ओतने झकझोरेला
बेबस माई-बाप, परिवार के करेजा चरचरा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

बहरी के एगो छोटो घटना, टीबी के बड़ खबर बनेला
बिदेसो से हरसंभव मदत, सांत्वना आ सलाह आ जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

फिकिर में के बा, बाढ़ में हर साल दहत बिहार बा
बिकास पुरुस कागजी, गरीबी-पलायन प चुपा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

बेमउअत मउअत के जबाबदेह के बा, गरीब के सँघाती-इयार के बा
जे आपन केहू बिछुड़े त असली दरद बुझा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

रोज टीबी प रोवत माई बाबू के आँखि देखी सुजीत के अँखिया लोरा जाला
कब ले होइ निदान इहे चाहे ला मनवा कसक जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

:- सु जीत, बक्सर।

[विशेष अभार:- श्री कृष्णा जी पाण्डेय]