Tuesday 18 June 2019

मुजफ्फरपुर

क के माँग हर जगह उठावे वाला बिहार में तवाँ जाला,
हरदम चिचियात रहे गरीबन खातिर, ऊहो मुँह लुकवा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

देस-बिदेस में बसल बाड़ें बड़हन नेता, अभिनेता आ पत्रकार
बाकी अब त राजनीति करे में लोग अझुरा जाला।
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

लाश जतने छोट आवे, तन-मन के ओतने झकझोरेला
बेबस माई-बाप, परिवार के करेजा चरचरा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

बहरी के एगो छोटो घटना, टीबी के बड़ खबर बनेला
बिदेसो से हरसंभव मदत, सांत्वना आ सलाह आ जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

फिकिर में के बा, बाढ़ में हर साल दहत बिहार बा
बिकास पुरुस कागजी, गरीबी-पलायन प चुपा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

बेमउअत मउअत के जबाबदेह के बा, गरीब के सँघाती-इयार के बा
जे आपन केहू बिछुड़े त असली दरद बुझा जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

रोज टीबी प रोवत माई बाबू के आँखि देखी सुजीत के अँखिया लोरा जाला
कब ले होइ निदान इहे चाहे ला मनवा कसक जाला
हं, बिहारियो बिहारी के दुख अब भुला जाला।

:- सु जीत, बक्सर।

[विशेष अभार:- श्री कृष्णा जी पाण्डेय]

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