Friday 18 August 2017

भोजपुरी कलाकार की हत्या पर विशेष ।

भोजपुरी आज विश्व के लगभग 10 देशों में 5 करोड़ से भी अधिक लोगो के बोलचाल की मुख्य भाषा बन चुकी है और इसका जन्मस्थली बिहार के आरा,बक्सर,बलिया,छपरा ,सिवान,सारण, चम्पारण और गोपालगंज तथा यूपी के बलिया,मऊ,बनारस गाजीपुर,देवरिया,आजमगढ़ और झारखंड के भी कुछ जिले  है ।

हमें गर्व होता है कि आज के समय मे भोजपुरी आन बान और शान से हम राजधानी दिल्ली व मुम्बई जैसे महानगरों में सुनते है और इसकी लोकप्रियता की वजह से देश मे अन्य राज्यो के लोग भी बोलना पसंद करने लगे है । लेकिन इसके प्रसिद्ध होने का मुख्य श्रेय उन कलाकारों को जाता है जिन्होंने ने कड़ी मेहनत, लगन और धैर्य के साथ इसे अपने आजीविका व सम्मान का साधन बनाया ।

अभी भी अगर कान में भोजपुरी सम्राट भरत शर्मा के पुराने गाने या सातों रे बहिनिया का देवी पचरा सुनाई पड़ जाते है, कसम से रोंगटे खड़े हो जाते है । इस तरह से और भी कई कलाकार जैसे सुपरस्टार गायक पवन सिंह, गायक,नायक व सांसद मनोज तिवारी , खेसारी लाल यादव, अरविंद अकेला कल्लूजी, कल्पना जी और भी बहुत सारे कलाकार है जिनकी कला से एक खास जनसमूह अभिभूत है ।

मुझे आज भी याद है साल 2008 का वह दिन सिमरी दूधिपटी के पेट्रोल पंप पर जब मानस सम्राट स्व श्री गायत्री ठाकुर जी राजा हरिश्चन्द्र का संवाद पर चर्चा और गायन कर रहे थे । कुल दर्शको की संख्या करीब 1500 था, प्रसंग के दौरान जब राजा  हरिश्चन्द अपने मृत बालक के अंतिम संस्कार करने के दौरान भी कर की माँग करते है लाख पत्नी के परिचय के बाद नहीं छोड़ते है । इस प्रसंग के अंतिम समय में ऐसा माहौल बना की गायक स्व श्री गायत्री ठाकुर से साथ साथ सारे दर्शको के आँखों से आँसू निकल आये ।

आज भोजपुरी ऐसी भाषा बन गई है जो लाखो लोगो के  रोजगार का जहां साधन है वही करोड़ो लोगो के मनोरंजन का अहम साधन भी है । अब भोजपुरी भाषा की ऊचाई भोजपुरी भाषियों के सर चढ़ बोल रही है और लोगो को पहले की तरह बोलने में जरा भी हिचक नही होती वरना पहले भोजपुरी भाषियों को असभ्य और असहाय की कातर नजरो से लोग देखते थे ।

भोजपुरी गायक, नायक व सांसद श्री मनोज तिवारी जी का भी एक कार्यक्रम जो बक्सर किला के मैदान         " व्याघ्रसर महोत्सव" में हुआ था हमलोग 8 लड़के 25 km दूर से उन्हें देखने के लिए पहुँचे थे । कार्यक्रम तक पहुचने में जो हमने परेशानी उठाई थी वो दिन आज भी याद है । लगभग 10 km की दूरी डुमराँव स्टेशन तक  डाक बम चाल में गए थे । फिर वहाँ से ट्रेन में बक्सर और फिर स्टेशन के किला का मैदान । रात करीब 1130 बजे मनोज भैया का आगमन हुआ और सुबह के 0400 कैसे बज गए पता ही नही चला । वाकई गायक नायक और भोजपुरी के महानायक मनोज तिवारी जी पर ईश्वर की असीम कृपा है ।

बिहार में 2009 -10 में बाढ़ आई थी । बाढ़ में हुए नुकशान में राहत के लिए मोइनुल हक स्टेडियम में भारतीय खिलाड़ी आये थे और टिकट 500, 200 और 100 रुपये के थे हम लोगो ने भी 100 का टिकट लेकर भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों को देखने पहुँचे थे । गौतम गंभीर की गम्भीरता उस समय जगजाहिर थी । मैच शुरू हुआ और लगभग गौतम गंभीर 38 रन बना कर आउट हो गए । पवेलियन जाने के क्रम में लोगो ने आटोग्राफ लेने के लिए सैकड़ो की संख्या में बैरियर तोड़ फील्ड में पहुच गए । सभी खिलाड़ी भाग गए और लोग बहुत ज्यादा होने की वजह से पुलिस भी अपना हाथ खड़ा कर दी । लेकिन मानना होगा गायक व नायक मनोज तिवारी जी के माइक हाथ मे लेते ही और पूरब के बेटा हमनी के कहल जाला सुनते ही सैकड़ो लोग अपने अपने जगह पर बैठ गए । किसी तरह मैदान खाली हुआ ।

अब तो जैसे हिंदी सिनेमा का फ़िल्म फेस्टिवल अवार्ड विदेशो में होता है ठीक भोजपुरी फ़िल्म फेस्टिवल अवार्ड भी विदेशी सरजमी पर होना शुरू हो गया है पिछला दो भोजपुरी फ़िल्म फेस्टिवल अवार्ड का कार्यक्रम यूट्यूब के माध्यम से देखा, बहुत अच्छा लगा।
अब तो केवल एक ही मुराद बाकी है , भारतीय भाषा के आठवी अनुसूची में भोजपुरी भाषा का नाम अंकित हो जाये ,जो भाषा के सम्मान की बात होगी ।

कल गोपालगंज के भोजपुरी गायक और स्टूडियो संचालक विनय बिहारी की हत्या की घटना सुनकर दिल पर गहरा चोट आया । ऐसे कलाकारों की हत्या अगर इसी तरह होते रहेगी तो एक दिन हमारे भाषा के अस्तित्व का क्या होगा ??

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