Tuesday 15 August 2017

स्वतंत्रता दिवस

आज 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री के भाषण समारोह में जाने का मन था पर सुबह डयूटी होने के चलते नही जा सका, भाषण किसी तरह से बाद में अपने ही एक साथी के जियो टीवी के माध्यम से थोड़ा बहुत देखा तबतक आधा से ज्यादा भाषण खत्म हो चुका था ।

जैसे ही रूम में आया कुछ दोस्तों का प्लान "टॉयलेट - एक प्रेम कथा मूवी देखने को था तो किसी को आजादी के खुशी में झूम उठने को और बचे कुछ को शाम को होने वाले इंडिया गेट का कार्यक्रम देखने को था पर सब के सब आपसी उधेड़बुन में ही खत्म हो गया  । चारपाई पर सोकर आज का दिन बीतने लगा ।

समय शाम के 6 बज रहा होगा वैसे तो दिन भर आस पड़ोस में देशभक्ति डीजे पर बजते सुनाई दिए ,हालांकि हमलोगो ने भी अपने छोटे से होम थियेटर बजा कर ही देशभक्ति लहरों में उछल कूद किये पर जैसे ही एक अजब सा जोश लिए प्रतिध्वनि कानों में गूँजी खुद को छत पर जाने से रोक नही सका ।

छत पर पहुचते ही देखा बहुत सारे लोग अपने अपने छतों पर तिरंगे लहरा रहे थे, डीजे में कोई देश भक्ति गीत बजा रहा था तो कोई नए नए हिंदी गानो को करतल ध्वनि के साथ पूरे वातावरण में खुशी की छटा बिखेर रहा था । कुछ छोटे छोटे बच्चे हाथों में झंडे लिए और चेहरे पर भी तिरंगा के छाप जड़े खूबसूरत दिख रहे थे तो दूसरी तरफ सभी उम्र के लोग अलग अलग रंगबिरंगी पतंग उड़ा रहे थे । उन सब को देखकर एक अलग तरह की खुशी का संचार हो रहा था । हमलोगों ने भी खूब पतंग उड़ाए और मैंने 2 पतंग काटा और 3 कटवाए ।

समय बीतता गया और अँधेरे होने लगे इसी बीच कुछ बच्चों में लाइट वाला पतंग उड़ाने लगे । आज पहली बार मैंने ऐसा पतंग देखा जो चारो तरफ से कागज से घेरकर और बीच मे किसी कपड़े में केरोसिन या पेट्रोल डालकर उड़ाया जाता है । इसे उड़ाने से पहले कुछ देर तक जला कर स्थिर रखा जाता था और धुवाँ जमा होने के साथ ही यह आकाश में स्वतः उड़ने लगता है ।

अब समय शाम के 0730 बज चुके थे और लोगो ने अभी भी अपनी खुशी को अविराम रखते हुए । आकाशीय पटाखा छोडने लगे, जो आसमान में जाकर सात रंगों में बिखेर कर अलग अलग तरह का डिजायन और कला दिखा रहा था तो कही छोटे बच्चे छुरछुरी और अनार वाला पटाखा जलाते दिखे । पूरा शहर अपने आन बान और शान से आज स्वतंत्रता दिवस मनाते दिखा ।

सच कहूँ तो मैंने पहली बार ऐसा नजारा दिखाई दिया । हमलोगों ने भी बचपन मे बहुत सारे राष्ट्रीय पर्व मनाये पर उस समय ध्वजारोहण के बाद चार पांच झांकिया हो जाती थी जिसमे परिवार के सदस्य भी जाते थे और बुंदिया या जलेबी खाकर दिन की पूर्णाहुति हो जाती थी। खैर खुशी इजहार करने का सबका अलग अलग तरीका है पर आज का दिन बेहद अहम रहा । इसके लिए मैं ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूँ साथ ही भारत माता के वीर सपूतों को नमन करता हु जिन्होंने देश को अंग्रेजो की दासता से मुक्त कराया और हमे आजाद भारत मे स्नेह, सौहार्द,प्रेम ,भाईचारा व हक से रहने का मार्ग प्रशस्त किया ।

जय हिंद ।।

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