Monday 28 August 2017

ग्रामीण परिदृश्य - रामलखन की कहानी भाग 1

रामलखन 6 फ़ीट हाइट,मेहनती व गठीले बदन  बी एस एफ (BSF) के जवान है । बचपन से ही घर के काम काज खेतीबाड़ी का काम करके और पढ़ाई में किसी तरह से मैट्रिक पास करने के बाद भरती के लिए भागदौड़ किये । अंत मे 6 बरिस तक भरती करने के बाद बड़ी मुश्किल से BSF में सिपाही की नौकरी मिली। अब नौकरी होने के बाद उनके बाप श्री रामेश्वर सिंह,जो पूरी जिंदगी दूसरे का खेत सलाना पैसे पर  लेकर टमाटर और बैगन की खेती-बारी में लगाने और गाँव मे नीचे तबके के जीवन मे गुजर बसर करते वाले अब मोच्छ पर ताव देके पंचायत के अगली लाइन में बैठने लगे और गाँव मे खुद के सबसे बड़ा  इज्जतदार समझने लगे । बाकी रामलखन के दो भाई भी गाँव मे नेताजी कहलाने लगे।  जिनको  दो जून की रोटी नही नसीब थी आज अगढत बन बैठे । समाज मे परिवार की तूती बोलने लगी और बात बात पर लाठी डंडा निकालने को उतारू हो जाते  ।

दो साल नौकरी होने के बाद रामलखन के दुवार पर रोज रिश्तेदारों का हुजूम इकाठा होने लगा । रोज तीन चार रिश्तेदार आने लगे थे साथ मे फ़ोटो भी लेकर आते थे । घर मे कुल 30 लड़की का फोटो आ गया था पर शादी के कोई ठिकाना नही था वजह सिर्फ यह था कि रामेश्वर सिंह के तिलक से पूरा एरिया जानकार था । 12 लाख नगद Appche गाड़ी के  साथ साथ तीन भर के सिकड़ी और लईकी ऐश्वरिया या कैटरीना जइसन । 52 रिश्तो में एक पसन्द आया । लड़की का बाप कोइलवरी में था और लड़की भी MBA की है । लड़की पसंद होने का वजह था लड़की  बहुत सुंदर और पढ़ी लिखी थी साथ ही उसका बाप मुँहमाँगा पैसा दे रहा था । सब कुछ तय हो गया और बराइच्छा के दिन रामलखन छुट्टी लेकर आये । सब गाँव मे खुशी का माहौल था कि अबकी लगन में एगो बढ़िया पूड़ी मिली और दमदार सोनाली रानी के नाच के व्यवस्था होइ । चाहे किसी को घर मिले या किसी को बर, लड़को को तो बस बरात में नाच चाहिए ।

 रामलखन भी अपने साथियों की शादी में खूब शरिक होते और जमकर पैसे उड़ाते अब तो शादी का लड्डू खुद खाने का वक़्त आ गया । शादी नबम्बर 2017 में  तय हो गया । 

रामलखन बो भौजी की पढ़ाई का हाला शादी के पहले ही खूब जोर पर होने लगा, क्योंकि उनके पापा उनको बंगाल के आसनसोल में रखकर अंग्रेजी मेडियम में पढ़ाये थे । अब घर मे ऐसी बहु के आने के रिश्ते से घर के साथ साथ गाँव मे भी खूब हाला था । कोई कहता था कि घुराहु बो बोलती है कि लड़की बंगाल की है हिला के रख देगी तो वही रामनिवेश बो बोलती है कि शहर में रहै वाली लड़की गाँव में कइसे रही, लागत बा  बेचारी के करमे फुटल बा । हद तो तब हो गई जब राजेश के लइका के बार मे आइ  साली कहती है कि रामलखन के भाग देख हो अब त इनकर गोड़ जमीन पर ना रही अउर अब सबके भुला जईहे। 

घर के आपसी परिवार चाचा -चाची ,दीदी- जीजा ,फुआ फूफा , सब के मुँह पर यही चर्चा चल रहा है और काम से जब कभी फुरसत मिलता , बस टॉपिक पर बहस शुरू हो जाता । लड़की घर मे लछमी आवत बिया ई त रामलखन के भागी के बात बा । आजु से ही सब लोग सँस्कार से रहे सीखी जाव ना त लईकी कइसे एडजेस्ट होइ । रामलखन के गाँव मे निकलना अब दम घुटने सा लगने लगा था जहाँ जाते बस लड़की के बारे में चर्चा शुरू हो जाता । जबाब देते देते बस परेशान से हो गए थे । जब कभी अकेले होते मन मे शादी का लड्डू फूटता और रात आकाश के तारे गिनने में ही बीत जाता ।

छुट्टी खत्म हुई, अब रामलखन नौकरी पर चले । सुबह के 0545 बजे बक्सर से हावड़ा जम्मूतवी  पकड़े, सीट कन्फर्म था ,सीट लिए और  छुटी में गुजरे पलों को याद करने लगे । 

आगे की कहानी लेकर फिर आएंगे ।

सुजीत कुमार पांडेय " छोटू "

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