Friday 6 April 2018

क्रिप्टो-करेंसी क्या हैं?

क्रिप्टो करेंसी एक आभासी मुद्रा हैं जिसे ऑनलाइन मुद्रा भी कहते हैं। जिस तरह से रुपये-पैसों को रखने के लिए हम जेब (पर्स) का इस्तेमाल करते हैं, ठीक इसी प्रकार से क्रिप्टो करेंसी रखने के लिए डिजिटल जेब की जरूरत पड़ती हैं।

प्राचीन समय में लोग मुद्राओं से अनजान थे। वे अपना काम वस्तु विनिमय प्रणाली के माध्यम से चलाते थे। इसका मतलब किसी जरूरत वाली वस्तु के बदले में किसी दूसरी वस्तु बदले में देनी पड़ती थी ।

विनिमय के तौर तरीकों में बदलाव हुआ। कालान्तर में  अलग-अलग राजवंशों ने अलग-अलग अपनी मुद्राएं जारी की। किसी ने सोने के सिक्के चलाये तो वही दूसरे किसी ने चांदी, फिर ताँबा आदि का.....

क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 21 सदी मानी जाती हैं। क्रिप्टोकरेन्सी में बिटकॉइन को अर्थव्यवस्था का बादशाह माना जाता हैं। इसका आविष्कार 03 जनवरी 2009 में सतोषी नाकामोतो ने किया था जो अब तक अज्ञात हैं। इस व्यक्ति की पहचान अब तक नहीं हो पाई हैं । बिटकॉइन बनाने का असली मतलब था डिजिटल मुद्रा को बिना किसी तीसरे माध्यम के यानी बिना बैंक गए ही एक-दूसरे में पैसे का विनिमय हो सके ।

आज से ठीक पांच साल पहले
1 बिटकॉइन = 5 रुपये था जबकि अभी
1 बिटकॉइन= 50 हजार से भी ऊपर हैं।
( आंकड़े घटते-बढ़ते रहते हैं)

क्रिप्टोकरेंसी के दो प्रकार हैं।

1) फिएट क्रिप्टो
2) नॉन-फिएट क्रिप्टो

फिएट क्रिप्टो वैसी करेंसी हैं जिसे स्थानीय सरकार ( जैसे की भारत में भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा मान्यता दी जाती हैं) द्वारा वैध करार दी जाती हैं।

नॉन-फिएट क्रिप्टो करेंसी निजी करेंसी होती हैं। इसमें किसी सरकार हस्तक्षेप नहीं होता और अलग-अलग देशों में कही इसकी मान्यता मिलती हैं तो कही नहीं भी।

कुछ लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसियाँ हैं।
बिटकॉइन, एंथ्राल, रिप्पल आदि ।

क्रिप्टोकरेन्सी के फ़ायदे:-

1) यह उच्चतम सुरक्षा मानक  हैं और यह आपकी जानकारी को गुप्त रखता हैं।
2) इससे लेन देन में किसी तरह की फ्राडगिरी  नहीं होती।
3) लेन देन के लिए किसी बैंक या कोई और माध्यम नहीं बनता।
4) इसकी फीस काफी कम होती हैं।
5) इसका खाता घर बैठे खुल जाता हैं। कोई भागदौड़ या ज्यादा दस्तावेज की जरूरत नहीं होती ।

साभार:- इंटरनेट महोदय!!

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