अब समय नही संताप करने का
और दुश्मन को समझाने का
चलो उठो, संकल्प करो बस
कातिलो को सबक सिखाने का ।।
आलाप व्याप्त और चिर प्रतीत की
न ध्वनि को कर्ण तक जाने का
अब समय नही संताप करने का
और जाहिलों को समझाने का ।।
है विकल, वियोग, विध्वंस यहाँ
माँ बनती रण में चंडी जब यहाँ
दुर्गाकाली व लक्ष्मीबाई बन के
करती है यह पावन पुण्य धरा ।।
चुप रहने में हानि है निज का
होगा कलिकाल,रक्तबीज वहाँ
अब समय नही संताप करने का
और दुश्मनो को समझाने का ।।
कर अटल निश्चय और लेके प्रण
उन शहीदों की आग बुझाने का
अब समय नही संताप करने का
और गीदड़ों को समझाने का ।।
:- सुजीत कुमार पाण्डेय
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