दिल्ली में लगभग ग्यारह सौ चालीस दिन गुजारने के बाद भी यहाँ की वाल्ड सिटी के बारे में नहीं जान सका, आज सुबह सुबह मेरी नजर चावड़ी बाजार के एक साइन बोर्ड पर पड़ी, जिसपर लिखा था...
*" वाल्ड सिटी में आपका स्वागत हैं।"
ताज्जुब हुआ इतना दिन ये बोर्ड तो दिखा नहीं, आज कैसे दिख गया किन्तु वहाँ से गुजरते वक़्त या तो जल्दबाजी रहती हैं या इतनी भीड़भाड़ रहती हैं कि खुद को ऑटो रिक्शे, टेम्पू, और अन्य गाड़ियों से बीच बचते बचते निकलने की वजह से नहीं दिखा होगा।
दिल्ली के कुछ खास जगहों को वाल्ड सिटी के नाम से जाना जाता हैं। वाल्ड सिटी में मुख्यतः पुरानी दिल्ली के चांदनी और चावड़ी बाजार का एरिया आता हैं और इसका केंद्रीय बिंदु लाल किला हैं। लाल किला से निकलने वाले रास्ते मुख्य सड़क हैं। लाल किला के ठीक तीनों तरह का समानांतर रोड इसकी मुख्य सड़क थी।
कहते हैं कि पुरानी दिल्ली को मुगल शासक शाहजहां ने सन सोलह सौ उनतालीस में बसाया था और इसे राजधानी बनाकर नाम दिया था "शाहजहाँबाद"....!
उस समय यह शाहजहाँबाद का एरिया पूरी तरह चाक चौबंद था और पूरी तरह से घेराबंदी कर 14 गेटों से सील्ड था। ये गेट रात के समय बंद कर दिए जाते थे और पहरेदार लगाए जाते थे । यह एरिया पंद्रह सौ एकड़ यानी लगभग 6.1 km में बसा हुआ था। कुछ मुख्य गेट नीचे दिए गए हैं....
1. कश्मीरी गेट:- उत्तर दिशा
2. मोरी गेट। :- उत्तर दिशा
3. निगमबोध गेट:- उत्तरपूर्व दिशा
4. लाहौरी गेट:- पच्छिम दिशा
5. अजमेरी गेट:- दक्षिण पूर्व दिशा
6. तुर्कमानी गेट:- दक्षिण पूर्व दिशा
7. दिल्ली गेट:-दक्षिण दिशा
8. काबुली गेट:- पश्चिम दिशा
9. खूनी दरवाजा:- इसका निर्माण शेरशाह सूरी ने कराया था ।
इन दरवाजों के चारों तरफ की ऊँचाई लगभग 26 फ़ीट की बनाईं गई थी, और मुख्य दरवाजे की ऊंचाई 26 फ़ीट थी,जो लाल पत्थर से बना हुआ था।
कहते हैं कि कश्मीरी गेट से होते हुए जो सड़क हैं वो कश्मीर को जाता था इसलिए ही इसका नाम कश्मीरी गेट पड़ा और निगमबोध का द्वार जो अब निगमबोध घाट हैं जहाँ अब दाह संस्कार किया जाता हैं।
इसका बहुधा भाग सन 1857 में हुए विद्रोह में तोड़कर गार्डन वैगेरह बना दिया गया। कुछ गेट अभी भी विरासत के रूप में टूटे-फूटे हैं।
[वाल्ड सिटी को देखकर मन में इसके बारे में जानने की इच्छा हुई, उक्त सभी जानकारियाँ गूगल बाबा से प्राप्त की गई हैं]
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