Tuesday 12 September 2017

वेलेंटाइन डे स्पेशल 💐💐

रोहित रात का खाना बाहर से ही लेकर आया था । रूम पहले से ही बुक था। यात्रा लंबा होने की वजह से भारी भरकम समान लिया नहीं था और वैसे भी किराए पर मिल रहे होटलों में सारी सुविधा रहती है, फिर भी अपने साथ 2 बेडसीट, 2 हॉफ फूल पेंट और बाकी कुछ डेली जरूरत के सामान जैसे ब्रश, कोलगेट, सेविंग आइटम इत्यादि । होटल रोड से क़रीब सौ मीटर की दूरी पर था। अगर होटल की काया कल्प की बात की जाय तो अच्छा खासा डबल बेड का  रूम, साथ मे 1 टेबल और दो कुर्सियाँ, सोनी की 52 इंच की टीवी, टॉयलेट, बाथरूम सबकुछ अलग अलग, कमरा पुरा सुंदर टाइल्स लगा था जिसकी चमक खुद के चेहरे को भी झलक दे रही थी  ।
मोबाइल से कुछ देर बात और चैटिंग करने के बाद रोहित खाना खाया रोटी, सब्जी, चावल ,दाल और सलाद साथ मे कोई अपना नही होने से ... एक छोटी बियर की बोतल .... खाना पीना खाकर  दिन भर यात्रा की थकान से जल्दी सो गया ।
रात के लगभग पौने दो बजे रहे होंगे, जल्दी सोने से नींद पहले ही खुल गई पर जग कर भी क्या करता । सोचा सोते ही रहते है ताकि नींद आये तो अगले दिन घूमने जा सकते है ....

तब तक आवाज आती है । " कौन है ?

इतनी रात में इस तरह की कहाँ से आई सोचने लगा फिर रूम का दरवाजा खोला, गलियारे में झाँक कर देखा कोई दिखाई नहीं दिया । रोहित को लग रहा था कि उसे वहम हो रहा है । 

बेकार में ऐसी छोटी बातों को क्यों सोचना ....


पुनः एक बार फिर से वही आवाज आती है

 "कौन है ? 

और दरवाजा खटखटाने की आवाज आई ... रोहित फिर सोचा कि कौन है जो ऐसा कर रहा है ... इतनी रात में और फिर लड़की का आवाज ..... 

दरवाजा खोलता है .. फिर कोई नहीं दिखता है ।
चूंकि कमरे के आसपास रूम खाली होने से सभी रूमों में ताले जड़े थे व होटल वाले से अनजान होने से एरिया के बारे में अच्छी तरह मालूम नहीं था । 

दूसरी बार हुई ऐसी आवाज ने रोहित के  पैरों तले घरती खिसक गई, मन में डर पैदा कर ही दिया था, पर किसी तरह उठकर खिड़की खोला तो बाहर बगीचे से सुंदर हवाएं आ रही थी, रात में जबरदस्त बारिश हुई थी, बारिस होने से मिट्टी की सोंधी खुश्बू से आसपास का वातावरण सुवासित हो रहा था । बॉस के पेड़ों से निकले कोपड़ और पत्ते हवा की झोकों में इधर उधर जाने से थोड़ा सा आवाज आ रहा था पर वो आवाज नहीं के बराबर था । तब तक रोहित को ऐसा आभास हुआ कि उसका पीछे कोई खड़ा है, पलभर के लिए ये क्षण फिर से डराने वाला था फिर हिम्मत दिखा वह झटके से पीछे हुआ पर कोई दिखा नहीं । 


रोहित लाइट जलाकर अपने डर को कम करना चाहा और लाइट जलती हुई छोड़कर कुछ देर रहा फिर उसे ऐसा लगा कि अब आराम कर सकते है उसने लाइट बंद करके सोने के लिए बेड पर चला गया । अभी 2 मिनट ही हुए थे कि कुर्सी अपने आप सरकने लगी । झट से उठा और देखा तो खिड़की खुली छोड़ दी थी, हवा  की रफ्तार तेज होने से प्लास्टिक की कुर्सी सरक रही थी, फिर लेट गया । देखता है कि आँख के सामने छत पर एक गोल सा चेहरे का प्रतिबिंब दिखाई दे रहा है । जो उसके चेहरे से मिल रहा है । देखते ही पूरा बदन सिहर गया । रोंगटे खड़े हो गए । किसी तरह से अपने आराध्य देव गुरु का नाम लिया और उसके बाद हनुमान चालीसा पाठ करने लगा । आखिर कब तक पाठ करते रहता कुछ देर बाद खुद से थोड़ा सुकून मिला कि टेबल पर रखा हुआ गिलास धड़ाम से नीचे गिरा इस बार झट से अपने मोबाइल की लाइट जलाई तो समाने देखता है कि चूहा पड़ा है, शायद कुछ खाने के लिए आया हो ।


बाकी के 3 घंटा गुजारना बहुत कठिन लग रहा था । ऐसे लग रहा था इस रात वह जिंदा बच जाय तो जिंदगी पूरी तरह आसानी से काट लेगा, सोच ही रहा था कि पायल की खनक सुनाई दी, तपाक से मोबाइल लेने भागा तब तक ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसे जोर से धक्का दे दिया हो, गिर पड़ा । 

अब उसके सामने एक स्त्री का प्रतिबिंब दिख रहा था । जिसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वो कुछ बात करना चाहती है, कुछ सुनाना चाहती है। 

ऐसा साक्षात दृश्य देखकर रोहित हैरान था, सहसा बोल उठा ।

तुम कौन हो ? और क्यों मेरा पीछा कर रही हो?

उस स्त्री ने बोला कि मैं अपना कुछ हाल-ए- दिल  सुनाना चाहती हूँ ।

अब रोहित कुछ निडर सा होने लगा था ।

रोहित ;- सुनाओ, क्या सुनाना चाहती हो ?

सुनो, आज से चार साल पहले मैं अपने पति (मयंक) के साथ यहाँ आई थी । बड़ी खुशी और ढ़ेर सारी तमन्नाओं के साथ, दिन 13 फरवरी था । अगले दिन हमें घूमने जाने का प्लान था जिसमें आसपास के कुछ समुन्द्रो के किनारें और कुछ पार्कों में ....

रोहित :- फिर क्या हुआ? रोहित अब तत्परता से आगे की कहानी जाने को उत्सुक हुए जा रहा था ।

मयंक मुझे हद से ज्यादा प्यार करता था और जीवन का सबकुछ खुशियों की सौगात स्वरूप में ही थी। मेरी जिंदगी में ईश्वर ने मयंक रूपी ऐसा सौग़ात दिया था, जिसका बयाँ शब्दों से परे है, पर शायद ऊपर वाले को ज्यादा दिन साथ रहना मंजूर नहीं था । हम दोनों की शादी के अभी तीन सावन ही गुज़रे थे ।

रोहित :- आगे की बात सुनने को बेसब्र हो रहा था । फिर क्या हुआ ।

समय वही रात के लगभग 00:30 बज रहे होंगे। खाना पीना बाहर के रेस्टोरेंट से खाकर आये थे। रेस्टोरेंट से बाहर आने के क्रम में कुछ गुंडों की निगाहें हम पर पड़ी और वे पीछा किये । लेकिन गाड़ी तेज़ भगाकर हम पहले ही होटल पहुँच गए ।

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जब सुबह उठा तो खुद को जमीन पर लेटा पाया । कुछ देर के लिए डर गया पर सामने खिड़की से सूरज की किरणें आ रही थी । मोबाइल लेकर अपनी दोस्त रिया को रात की सारी घटना बताई ।

आगे की कहानी के लिए कृपया थोड़ा वक्त लगेगा ।। 

sujit1992.blogspot.com

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