Tuesday 12 September 2017

हुई मुराद पूरी पुरी की 🙏🙏

सूरज अपने दैनिक ड्यूटी से मुक्त हो ढलने के लिए तैयार था, मैं अपने दोस्त  राजू के साथ AMBIENCE मॉल गुरुग्राम घूमने जा रहा था । समय करीब 630 बज रहे होंगे। जैसे ही सिकंदरपुर रैपिड मेट्रो में सवार हुआ,मोबाइल की घंटी बजने लगी, पर भीड़ कुछ ज्यादा होने की वजह से मोबाइल पॉकेट से नही निकाला, सोचा आगे जैसे ही समय मिलेगा, देख लूंगा । घर मे दोपहर ही कुशलक्षेम हो चुका था  इसलिए ज्यादा जरूरत भी नही समझा । दरअसल दिल्ली में 2 साल रहने के बाद भी Ambience मॉल न घूम पाना और अपने छोटे भाई चंदन के मुंह से इसके बारे में बखान  सुनने के बाद दिल की हार्दिक इच्छा थी कि जाकर देखा जाय, आखिर कैसा है ?
अगले 2 मिनट में फिर कॉल आने लगा और इस बार लगातार घंटी बजने से मोबाइल निकालना जरूरी समझा, बस फ़ोन रिसीव करते ही, आदेश मिला,परसो आपको 15 दिन के लिए कटक जाना है । पहले तो थोड़ी देर के लिए मन दुखी हुआ पर अगले कुछ पलों में पलको ने फड़फड़ाना शुरू कर दिया। यह मेरे लिये शुभ संकेत था । अभी पूरी तरह सोच भी नही पाया था कि मौलसरी एवेन्यू  मेट्रो स्टेशन आ गया,जहाँ से हमे Ambience Mall के लिए जाना था । मेट्रो से उतर 200 मीटर की दूरी हम दोनों ने पैदल ही चहलकदमी करते निकल पड़े । 
जैसे ही मॉल पहुँचे, सामने  शीशे की आलीशान बिल्डिंग, ब्रांडेड देशी ही नही विदेशी कंपनियों के पोस्टर, आस पास कुछ लक्ज़री कारे,जगह जगह पर गार्ड साफ सुथरे पोशाक पहने तैनात थे । भीतर गए, कपड़े और जूतों की दुकानों पर देखे,एक दो कपड़े लिए फिर वापिस आ गए हालाँकि जूते जो पसंद आये वे काफी महंगे थे इसलिए नही लिए ।
तीसरे दिन मुझे कटक के लिए निकलना था । अचानक गाड़ी में रिर्जवेशन करने पर सीट कन्फर्म मिलना असम्भव  था, फिर भी रेलवे काउंटर से जाकर WL-160 ले लिया । जरूरत का सामान ले लिए, चुकी दिल्ली में उस समय ठंड थी पर पता किया कटक में ठंड कम है तो एक मोटी  चादर ले लिया था ।
ईश्वर का शुक्र था कि इतना waitting होने के बाद भी मेरा टिकट कॉन्फॉम हो गया । रात में नौ बजे पुरुषोत्तम पर सवार हो कटक पहुँचे । सफर में खुशी केवल इस बात का था कि इस बार चारों धामों में एक का दर्शन हो जायेगा ।
कटक प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का anauncement  उड़िया भाषा के महिला स्वर से हो रहा था, जैसा कि दिल्ली में हिंदी और इंग्लिश में होती है । सच कहूँ तो उड़िया भाषा मे भी मिठास का अनुभव हुआ । स्वर था
एकी दुइ चारि दुइ दुइ एक्सप्रेस बाकी भूल गया । पहले तो उसे announcement  मोबाइल में रिकॉर्ड किया फिर ओडिसा के ही एक मित्र उमेश को भेजा, उसकी भाषा की मधुरता को बताया, उमेश बहुत खुश हुआ और मुझे लौटते ही पार्टी दिया ।
एक सप्ताह बीतने के बाद कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक मिनी बस रिजर्व किये कुल 15 लड़के भगवान विष्णुजी के जयघोष के साथ जगन्नाथपुरी के लिए रवाना हुए रास्ते मे 20 km की दूरी सफर तय करने के बाद नास्ते का प्रयोजन हुआ । नमकीन पकौड़ी  छोले के साथ एक मीठा पकवान जिसे हम भोजपुरी में ठेकुआ बोलते है, खाकर अच्छा लगा । आगे लगभग 70 km की दूरी पर मंदिर था । मंदिर परिसर से 5 km पहले ही गाड़ी खड़ी करनी पड़ी क्योंकि 3 km दूर तक बड़ी गाड़ी ले जाने की मनाही है ।
जय जगन्नाथ ।।
मंदिर के बारे में विशेष
1.पूरी भगवान विष्णु के चारो धामों में से एक है । जगन्नाथ का मतलब है जगत का नाथ । भगवन विष्णुके चारों धामो की व्याख्या इस प्रकार है  हिमालय की चोटियों में बसे बद्रीनाथ में स्नान करते है, द्वारका में वस्त्र बदलते है, जगन्नाथपुरी में भोजन करते है और दक्षिण रामेश्वरम में विश्राम करते है । जानने के बाद खुशी इस बात का था कि चले चारों धामो में एक के दरशन तो हो गए बाकी भगवान खुद घुमा देंगे और वैसे भी बिन भगवान के कृपा से कुछ भी संभव कहाँ ..... तमिलनाडु से 100 km की दूरी पर रहकर बालाजी और जम्मू कटरा से 3 km की दूरी पर माँ वैष्णो देवी का दर्शन जब नही कर पाए तो बस यही सकारात्मक सोच बनी ,
।।  बिन हरि कृपा मिलहु नही संता ।।
2. मंदिर में दूसरे धर्मों के लोग नही जा सकते । जैन और बौद्ध धर्म के लिए कुछ दस्तावेज ले जाने की जरूरत पड़ती है ।
3. मंदिर परिसर में घुसने के बाद कलिंग शैली के स्थापत्य कला, शिल्पकला से निर्मित भव्य और आश्चर्यजनक है । 
4.मंदिर में भगवान विष्णु के साथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्ति है ।
5. साफ सफाई उच्च दर्जे का है ।
6. मंदिर परिसर में मोबाइल व जूता ले जाना और फ़ोटो लेना वर्जित है,जमा कराने का निशुल्क सेवा है ।
7. प्रसाद के साथ साथ दीप जलाने के मिट्टी के पात्रों में घी और कच्चे  धागे के दीपक मिलते है 
8. सबसे बड़ी विशेष महत्व वहाँ के प्रसाद का है जो मंदिर परिसर के बायीं तरफ बहूत सारी दुकानों में मिलती है । प्रसाद के रूप में चावल, दाल, कढ़ी, दूध से बने मिष्ठान और छाछ जैसी चीजे उपलब्ध है ।
दर्शन होने के बाद अगला पड़ाव समुन्द्र देखने का था । अच्छी तरह से समुद्र तट का नाम याद तो नही आ रहा है पर खुद को नहाने से नही रोक पाया, हालांकि नहाने के लिए पहले से कोई कार्यक्रम नही था । गमछी साथ लिए था। दो और मित्रो को भी नहाने के लिए बोला, वे लोग भी तैयार हुए। 

कोणार्क मंदिर विशेष
1. कोणार्क मंदिर विश्व विरासत स्थल में अंकित है ।
2. इसकी बनावट बहुत ही निराली है, विदेशियों का जमवाड़ा लगा रहता है । 
3 मंदिर के पूर्व का द्वार ऐसा है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर पर पड़ती है हालाँकि मंदिर में अंदर जाने की अनुमति नही है । 
4. मंदिर के प्रवेश में ही दो शेरो की प्रतिमा है ।
5. मंदिर रथ आकार बनाया गया है जिसमे 24 पहिये है जिसका डाया 10 फ़ीट का है, 7 घोड़े है ।
6. बगल में चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित है पर पानी कम होने से यह दूरी बढ़ गई है । 
7. सेक्स से संबंधित ज्ञान के लिए रथों के पहियो, मंदिर परिसर की दीवारों पर नक्काशी किया गया ।
दर्शन करने के उपरांत बाहर आकर 3 नारियल पानी पिये इसके बाद लंच किये, संध्या के करीब 5  बज चुके थे, दोस्तों का समूह बड़ा होने से थोड़ी चिंता जरूर थी पर सभी सही सलामत बस सवार हुए । बस में कुछ हिंदी गानों पर टीम बनाकर बारी बारी से डाँस हुआ ।और अंत मे सबको एक एक कर यात्रा के बारे में अपना अपना विचार व्यक्त करने को कहा गया । सबने एक एक कर अपना राय दिया । 
छैना पोड़ा :- प्रसिद्ध मिष्ठान ।
सचमुच घुमक्कडी ग्रुप में जुड़ने के बाद लिखने का अच्छा स्पीड आ गया है ।

आभार ।

5 comments:

  1. माल तो मैंने भी नहीं देखा और शायद ही देखने जाऊ,
    बाकी दोनों मंदिर अवश्य देखे है।
    मंदिर में मैंने अपने कैमरे से फोटो भी लिए थे, शायद उस समय रोक नहीं लगी होगी।
    मंदिर के अंदर एक छोटे से मंदिर के आगे एक चददर पर रुपये व सिक्के फैलाये हुए थे ताकि आगंतुक इन्हें देखकर अपनी जेब ढीली करने में संकोच न करे।

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    1. बिल्कुक सही बोले जी । भीख मांगने वालों का मंदिर बेहतरीन जगह है । कुछ तो लाचार होते है पर उनमे कामचोर भी कम नही ।

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  2. जी आपको धन्यवाद बढ़िया पोस्ट

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