। कितना बदल गया इंसान ।
दिन वो क्या थे जब मिलजुल कर चलते थे साथ
आज दोस्ती यारी छोड़ सब बैठे मोबाइल के पास l
दिन वो क्या थे जब मिलजुल कर चलते थे साथ
आज दोस्ती यारी छोड़ सब बैठे मोबाइल के पास l
आपस मे करते थे कही जाने आने घूमने का प्लान
आज का दैनिक जीवन मोबाइल से लगता है बेजान ।
आज का दैनिक जीवन मोबाइल से लगता है बेजान ।
होता नही कही कोई घर का काम
पर रहते है दिनभर मोबाइल में परेशान l
पर रहते है दिनभर मोबाइल में परेशान l
उठते,बैठे,चलते-फिरते बस रहता इसका ध्यान
80 साल की दादी हरदम देखकर रहती है हैरान l
80 साल की दादी हरदम देखकर रहती है हैरान l
कितना बदल गया इंसान
चंद लोगो की जिंदगी बनाया
ढेरो की जिंदगी किया तमाम l
फेसबुक, व्हाट्सएप्प है इसकी दुकान
सुबह खुल जाता, दिन भर रहता जाम ।
सुबह खुल जाता, दिन भर रहता जाम ।
जियो, एयरटेल, आईडिया, इसका है जान
सस्ते पैक देकर पहले बाद बनाता है गुलाम ।
सस्ते पैक देकर पहले बाद बनाता है गुलाम ।
कितना बदल गया इंसान
घर परिवार की सुध नही
रिश्ते हुए कल्पना के नाम l
रिश्ते हुए कल्पना के नाम l
बधाई हुआ मैसेज से तमाम
मिलने पर होता नही राम राम ।
मिलने पर होता नही राम राम ।
कितना बदल गया इंसान ।।
No comments:
Post a Comment