चीनटुवा की शादी के अभी 20 दिन ही पूरे हुए थे कि दोस्तों की जदोजहद और नए शहरी माहौल से रु ब रु होकर खुद हनीमून के लिए गोवा की तैयारी बना लिया ।भला आज पेशे से इंजीनियर चिन्टूवा अब गाँव के रहन सहन, और सामाजिक विचारधारा से इतर शहरी फैशन में जीने लगा था ।
हरिहर चाचा आँगन में पहुचते है।...तब तक रनिया आकर कान में कुछ फुसफुसाती है ...खबर सुनकर भौचका रह जाते है। कान खोलकर सुन लो ई सब नया नया काम घर मे नही चलेगा ... अभी से ये मजाल .....कोई गोवा जाए, कोई बम्बे जाए...
समाज में कोई सुन लेगा तो नाक कट जाएगी...क्या जबाब दूँगा कि कल की आई बहु आज घर परिवार के बूढ़े बुजर्गो की सेवा करने के बजाय फुर्ररर हो गई । चिन्टूवा की माँ आकर चुप कराती है ....
घर में बैठे चिन्टूवा के मन का अरमान टूट गया... फ्लाइट का टिकट और गोवा का सपना अरमानो तले दब गया , कर ही क्या सकता था बेचारा....
किसी तरह साल भर गाँव में परिवार रखने के बाद और परिवार की सहमति से मेहरारू लेकर मुंबई पहुँचा ..
दूसरे दिन ही गेट वे ऑफ इंडिया के सामने भाभी के चटख गुलाबी रंग के लिपिस्टिक और स्टाइलिस जीन्स पहन एक्शन में फ़ोटो खीचकर फेसबुक पर छोड़ा ही था कि चन्दनवा फ़ोटो देखकर पूरे गाँव घर घर तक चिन्टूवा के मेहरारू का फोटो दिखा दिया और कहने लगा ...
गाँव में तो बड़ा सभ्य बनती थी ...खिड़की का केवाड़ी तक नही खोलती थी ...घर से निकलने में बीता भर का घूँघट गिराती थी और आज सेल्फी लेने में अपना होंठ सुगा के चोंच की तरह निकाल ली है ।
घरी भर के भीतर खबर हरिहर चाचा के पास पहुँचा। घर में परिवार का बिटोर हुवा और फोन चिन्टूवा को लगा ।
जा ऐ बाचा पूरा गांव में छि छि हो रहा है । ई सब पूरा गाँव कइसे देख रहा है । बूढ़े बुजुर्गों का कहना है कि औरत घर के चौखट के भीतर ही शोभा देती है । तपाक से फ़ोन चाची छीन लेती है और घर में भीतर घुस जाती है और समझाती है ।
अब चिन्टूवा पूरे परिवार को कैसे समझाये कि समाज से पर्दा प्रथा को हटाया जा रहा है कब तक पुराने विचारों में जिएंगे, कब तक सामाजिक बेड़ियों में जकड़े रहेंगे । खुद जीवन के 32 सावन देखने के बाद अब मैं नासमझ कहाँ, पर सबकुछ सुनकर मन ही मन और कुशलक्षेम कर फोन रख देता है ।।
आगे अभी शेष है ।।।
वाह!बहुत सुंदर
ReplyDeleteThnx bro
ReplyDeletePandey ji ...
ReplyDeleteAap v kamaal krte ho