भाइयों,
हम सीधे- साधे गाँव के लोग है । भ्रष्टाचार शब्द सुने नही है लेकिन हॉ, कसम से सही अर्थ बता देंगे, क्योंकि बचपन से ही हम सन्धि विच्छेद करने में माहिर आदमी है ।
भ्रष्टाचार - भ्रष्ट+ आचार ।
आचार की बात जब भी आती है, हमारे जीभ से पानी आने लगता है । यानी लालच बढ़ा देता है और यही लालच हमारे समाज को, राज्य को, और देश को बर्बाद करने लगा है ।
विश्व में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें पायदान पर है। भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप है जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना, सस्ता सामान लाकर महंगा बेचना आदि।
भरष्टाचार ऐसी बीमारी है जो जनमानस के दिमाग को धीरे-धीरे खोखला बना देती है और इसके प्रभाव से सत्य और ईमानदारी फीकी पड़ती जा रही है । आसमान पर उड़ने का हौसला रखने वाले को धरा नसीब होती है, हौसला रूपी सारे पंख टूट जाते है जब बगल का चिन्टूआ जो पढ़ने में तरह बाइस था, आज 10 लाख घुस देकर स्टेशन मास्टर बन गया । ऐसे बहुत से चिन्टूआ है जो बैंक पीओ, दरोगा, मास्टर और ना जाने क्या क्या बन जाते है जबकी तेज-तराज लड़को के हौसले पस्त हो जाते है और उम्मीदें ठंडी होकर पेट पालने के लिए निकल पड़ते है रोजी मजूरी करने ....
आजकल की भर्तीयो को आपने बेहद करीब से देखा होगा । सरकार के लाख लगाम लगने के बाबजूद पेपर का लीक होने आम बात बन चुका है । कभी SSC सीपीओ का पेपर लीक हो जाता है तो कभी सीजीएल का तो कभी सचिवालय क्लर्क का तो कभी बैंक पीओ का …..
भर्ष्टाचार दिमाग की ऐसी उपज बनते जा रहा है जिसका विनाश न होकर दिन प्रतिदिन फ़लीभूत
होते जा रहा है । इसमें कोई संसय नही की, इनमे कुछ ऐसे तंत्र मौजूद होते है जिन्हें अच्छी खासी माहवारी मिलती है, इसके बावजूद भी जेहन में ऐसी गंदी सोच को बढ़ावा दे रहा है ।
बैंकों में आपको लोन लेना हो या कोई संस्थान कोई जरूरी कागजात निकालनी हो । स्टेशन पर टिकट बनवानी हो या किसी धार्मिक संस्थान में माथा टेकने हो । आपको इन भ्रष्टाचारियो के माध्यम से होकर गुजरना मजबूरी बन जाता है और अगर ऐसा नही करो तो लोग बेवकूफ या अन्य नाम दे देते है ।
सतर्कता जागरूकता अभियान सप्ताह दिनांक 30 अक्टूबर से 04 नवंबर तक मनाया जा रहा है । जिसका मोटो है --
मेरा लक्ष्य -- भ्रष्टाचार मुक्त भारत ।
अगर हम सब ईमानदारी से अपना काम करे, ईमानदारो का साथ दे और समाज मे भरष्टाचारियों के खिलाफ़ लड़े तो हमारा सपना साकार हो सकता है । सतर्कतापूर्वक रहना हम सबकी जिम्मेदारी भी है । इसके खिलाफ लड़ाई उस भारतीय से शुरू होगी जो इस लड़ाई के अंतिम लाइन में खड़ा है ।
आजकल आधुनिक उपकरणों का अभाव नही है जो इनके विरुद्ध में मिशाल कायम कर रहे है पर जरूरत है इसे अधिक से अधिक विस्तार करने की । कुछ बेहतरीन माध्यम मोबाइल, कैमरे, सीसीटीवी आदि नकेल के मुख्य स्रोत है ।
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